शहीद प्रदीप नैन को अंतिम विदाई देने के दौरान भावुक माहौल देखने लायक था, जब उनकी गर्भवती पत्नी आंसुओं और प्रार्थनाओं के बीच अपने पति को अंतिम विदाई देने के लिए 1 किलोमीटर पैदल चलकर श्मशान घाट पहुंची। पूरा गांव एकजुटता के साथ खड़ा था और देश के लिए अपनी जान कुर्बान करने वाले एक बहादुर आत्मा के नुकसान पर शोक मना रहा था। विधवा के श्मशान घाट तक पैदल जाने का मार्मिक दृश्य वहां मौजूद सभी लोगों के दिलों को छू गया, जो हमारे नायकों के परिवारों की ताकत और लचीलेपन का प्रतीक है। प्रदीप नैन की वीरता और बलिदान की विरासत को हमेशा याद रखा जाएगा, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगी।